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कल विजयादसमी का पर्व धूम धाम से मनाया गया।किन्तु मैं अपने फेसबुक एकाउण्ट को खोलकर वैठा रहा तो देखता हुँ कि मैं ही इण्टर नेट पर वैठा अकेला बेवकूफ नही हूँ और भी बहुत से लोग लगे हुए हैं तो दिल को तसल्ली हुयी कि भाई जिस काम को अनेकों लोग कर रहैं हो वह वेबकूफी भरा तो नही हो सकता हो सकता है गलत हो तो शायद भारत की इस ईस्ट ईण्डिया कम्पनी की मालकिन श्री मती सोनिया गाँधी जिन्हैं इनकी वास्तविक सुसराली नाम सोनिया खाँदी जी हाँ यही नाम है जो सोनियाँ जी के सुसर श्री मान नहेरु दामाद सर्व श्री फिरोज खान ने गाँधी जी की बात को 60% मानते हुये अपनी माँ के नाम पर रख लिया था क्योंकि शादी से पहले उनकी माँ का य़ही सर नेम था जो उनके मुस्लिम पिता के कारण बदल कर खान हो गया था। खेर इस बात की चर्चा बाद में करेगें कि यह क्या हिस्ट्री है लेकिन आज के मुद्दे की बात। हाँ तो मैं किस जगह था कि मालकिन सोनिया गाँधी औऱ उनके भारतीय ऱावण ने कागज के रावण को फूँक दिया । भाइयो ये मैं नही कह रहा मैने तो फेसवुक पर देखा कि अनेको लोग आज विजयादशमी के पावन पर्व पर उदास होकर वैठे हैं मैने पूछा कि रावण देखने नही जाना तो कई बोले कि क्या जाए यार वहाँ राम तो हैं ही नही आगे पढ़ने को यहाँ क्लिक करें
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