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कांग्रेस भारत और यहाँ की जनता के लिए अब सावित हो रही है न्यू ईस्ट ईस्ट इण्डिया कम्पनी

ज्ञान कुसुम
ज्ञान कुसुम
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देश को आजाद कराने का दावा करने बाली कांग्रेस आज भारत वासियों से उसी ईस्ट ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तरह व्यवहार कर रही है जैसा व्यवहार कम्पनी के अधिकारी आजादी से पहले भारतीयों के साथ करते थे। जनता त्राहि त्राहि कर रही है नेता घोटाले पर घोटाले कर रहे हैं।एक घोटाले की जब तक बात सुनकर जनता अपने कानों को साफ भी नही कर पाती तब तक नया पिछले घोटाले से वड़ा घोटाला सामने आ जाता है। भारत के प्रथम प्रधान मंत्री प. जवाहर लाल नहेरु के समय से शुरु हुयी सबसे पहले जीप घोटाले की श्रंखला अब मनमोहन सिंह के समय में प्रतिदिन होने वाले नये नये घोटालों मे बदल गयी है।राष्ट्र मे विकास के नाम पर सबसे ज्यादा अगर कुछ हुआ है तो वह है घोटाले और भ्रष्टाचार। कांग्रेस से सवक लेकर अब लगभग हर दल के नेता घोटाले करने की फिराक मे लगे रहते है।सवसे वड़ी बात तो यह है कि घोटाले तो घोटाले अगर कोई संस्था इनका विरोध करती है तो ये नेता उस संस्था को वदनाम करने मे कोई कसर नही छोड़ते अगर वह फिर भी न मांने तो उसकी तथा उसके अनुयायियो की हत्या करने से भी नही चूकते। वह संस्था इनका विरोध करने से पहले सच्ची तथा ईमानदार होती है अचानक रातों रात उसके अनेकों घोटाले सामने आ जाते है बाबा रामदेव व अन्ना हजारे का उदा. हमारे सामने है।
                                       अब वर्तमान मुद्दे की बात करते है। भारत की आजादी को जितना भी समय हुआ है उसमे सवसे ज्यादा समय कांग्रेस ने ही शासन किया है। और अभी पिछले दस वर्षो पहले भी जब कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता हस्तगत की थी तब भी भाजपा ने महगाई को काबू मे तो रखा ही था वल्कि ब्याज दरे इतनी कम हो गयी थी कि लोग अपने धन को बहुत कम ब्याज पर काम करने वालों दैने लगे थे आसानी से कम ब्याज पर काम करने के लिए पैसा मिल रहा था। देश विकास के रास्ते चला जा रहा था।विदेशी कर्जे भी शायद समाप्त हो चले थे।विदेश मे रहने वाले भारतीय अपना पैसा भारत मे लगाने के लिए ही नही अपितु भारत मे रहने के लिए लालायित होने लगे थे।

                              लेकिन पिछले 10 वर्षो में एसा क्या हुआ कि सरकार वदलते ही रोजाना प्रयोग की वस्तुए मँहगी होने लगी।जो चीनी भाजपा के समय में 17-18 रु के दाम मे विक रही थी अचानक 22-23 होने के बाद 30 फिर 32 और 35 -37 होते होते 40 के दामों पर पहुँच गयी।आज भी चीनी के दाम 40ऱुपये विक रही है।सब्जियों के दाम शायद आज 30 से कम कही न हो महगे अवश्य हो सकते हैं फलों की तो बात ही क्या है वे तो अब मध्यम वर्ग के लिए हवा हो गये हैं। दाम सुनकर ही पेट भर जाता है।

                                 पिछले तीन वर्षों में 23 बार सरकार पैट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों मे वृद्धिकर चुकी है उस पर एक नयी वृद्धि की गयी है पर सरकार के नीति नियंता अभी हिसाव ही नही लगा पाए हैं कि घाटा कब समाप्त हो जाएगा। सरकार पैट्रोलियम के अन्तर्राष्ट्रीय दामों मे महगाई की वात करती है किन्तु यह नही कहती कि महगाई से ज्यादा तो केन्द्रीय कर लगाए हुए है
                                                             जनता महगाई से त्रस्त है
                                                                                                   नेता घोटालों मे व्यस्त हैं
अब सरकार ने नया शिगूफा छोड़ा है कि आपको साल में 6 सिलेण्डर 400 रुपये के दाम मे मिलेगे।वाकी जो लेगे वो 750 मे लेने पड़ेगे।यह इस तरह है जैसे सरकार ने जैसे ब्लेकमार्केटिग का ठेका ले लिया हो और कह रही हो कि अरे ब्लेकमेलरो तुम क्या 500-600 मे ब्लेक कर रहे हो तुम से अच्छे तो हम है जो ब्लेक करे तो सीधा 250 कमाएगे अवे कम से कम 1000 नही तो 1200 का तो वेचो।वैसे भी जब आप लोगों ने हमें वोट देकर अपने सिर पर शासन करने का अधिकार दिया था तो हमने तुम्है वायदा किया था कि “कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ”तव तुम लोग आखों के अंधे वनकर हमे वोट देने निकल पड़े थे अतः यह न सोचो कि हमने आपकी जरुरत के सभी सामान महगे कर दिये हैं वल्कि हमने तो तुम्है एक नया रोजगार दिया है कि उन घरो को तलाशो जिनमे 6 से कम सिलेण्डर खर्च होते हैं आप उनसे सिलेण्ड़र कम दाम मे ले लो और उन्है बेक दो जो ज्यादा खर्च करते है और अव वे 750 तक तो आराम से ले ही लेंगे और आपने जितने ज्यादा का बेक दिया वो नफा अलग वैसे भी हमारे पिछले शासनों मे एक दो नही लाखों लोग तेल चीनी मिट्टी के तेल की व्लेक कर कर करोड़पति हो गए हैं तो हम तु्म्हारा भला सोच रहे है हम हर हाथ को काम देने के अपने वायदे को इस प्रकार पूरा कर रहे हैं।
                                                                        एक तरफ महगाई दुसरी तरफ घोटालों की मार से आम आदमी इतना त्रस्त है कि आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है।हर सरकारी काम मे भ्रष्टाचार अब आम हो गया है। पहले किसी काम को गलत कर दिया जाता है फिर उसी काम को सही करने के लिए जनता को सुविधाशुल्क देना पड़ता है।और जब कोई बाबा रामदेव या अन्ना हजारे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होता है तो उस आन्दोलन करने वाले लोगो को डराया धमका कर या विरोधी समूह खड़ा कर आन्दोलन को प्रभावित करने के हथकण्डे अपनाए जाते हैं।जब इतने से काम नही वनता तो फिर कार्यकर्ताओ को झूठे षडयन्त्रों मे फसा दिया जाता है।पुलिस द्वारा लाठी चार्ज कराया जाता है या प्रमुख को मारने के प्रयास किये जाते हैं।यह वह सब उसी के समान है जो आजादी से पहले व्रिटिश सरकारे या 1857 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी किया करती थी।जनता के पैसे को लूटकर कम्पनी के अधिकारी विदेश ले जा रहै थे तथा जनता समस्याओं से त्राहि त्राहि कर रही थी। विल्कुल वैसी ही परिस्थितियाँ आज कांग्रेस सरकार पैदा कर रही है।
                                          जनता भी अब सब समझ चुकी है किन्तु रोना यह है कि कोई भी दल केन्द्रीय स्तर पर अभी भी मजवूत नही हुआ है एक भाजपा से आशा थी किन्तु पिछले दस वर्षों से वह अभी शायद अपनी हार के सदमे से ही नही उवर पायी है।उस पार्टी की समस्या यह है कि उसमे सभी नेता है कार्यकर्ता देखने को भी नही है।सभी प्रधान मंत्री की दौड़ मे शामिल हैं कोई प्रधान मंत्री से नीचे राजी ही नही है।माना कि आडवाणी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ साथ प्रधानमत्री पद के प्रवल व योग्य उम्मीदवार भी है किन्तु पाकिस्तान जाकर जिन्ना की मजार पर जाकर उसके वारे मे उनका बोलना जनता को शायद अखर गया है। माना कि उन्हौने वहाँ जो कुछ भी कहा वह शब्दशः सही था किन्तु वे इतने अच्छे राजनीतिज्ञ होने के बाद भी यह कैसे भूल गये कि जिन्ना ने जो भी किया चाहै उसने व्यक्तिगत शत्रुता मे ही क्यों न किया हो या फिर किसी ने उसे मजवूर ही क्यो न कर दिया हो किन्तु कोई भी व्यक्ति महान तभी कहा जाता है जवकि वह अपनी व्यक्तिगत भावनाओं का देशहित मे परित्याग कर देता है फिर चाहै जिन्ना ने अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए देश का विभाजन करके हमारे लिए एक दुष्ट राक्षस पाकिस्तान को पैदा कर दिया वह व्यक्ति सामान्य जीवन मे कितना भी अच्छा क्यों न रहा हो किन्तु हमारे देश के लिए तो गद्दार था गद्दार है व हमेशा गद्दार रहैगा और शायद मेरी वात को पिछले दो चुनावों ने भी सिद्ध कर दिया है कि भारत का कोई भी नागरिक यह नही चाहता कि उसका नेत्रत्व किसी भी एसे हाथ मे जाए जो जिन्ना का गुणगान करे।
                                                                            किन्तु अब इन वातों को भी कई वर्ष वीत गये है आडवाणी जी पर संसय किया जाए इसका भी कोई कारण नही है किन्तु जनता तो जनता है वह जिसका साथ दे तो दे नही तो पीछे धकेल दे।लेकिन आज जरुरत है इस न्यु ईस्ट इण्डिया कम्पनी से देश को वचाने की सच कहा जाए तो इससे मुक्ति दिलाने की तो इस मुक्ति यज्ञ मे आडवाणी जी सहित सभी भाजपा नेताओं को देशहित,पार्टीहित मे अपनी पद लालसा की आहूति देनी पड़ेगी तथा एक कुशल संगठक के नेतृत्व मे आगामी चुनाव लड़ना होगा।तथा साथ साथ यह भी याद रखना होगा कि केवल तुम्हारी पार्टी के मुद्दो को ही जनता महत्व देती है तुम राजग राजग के नाटक मे देशहित भूल जाते हो याद रखो कि तुम MP,छत्तीसगढ़ या गुजरात या कर्नाटक मे किसी अन्य के बूते पर सत्ता मे आए हो अतः अपनी ताकत को कम करके मत आँको।अतः किसी की चिन्ता किए वगैर अपने किसी भी अच्छे नेता के नेतृत्व मे जीत का अभियान छेड़ देना चाहिए।
                                                                              क्योकि तुम प्रमुख विपक्षीदल भी हो तो यह आपका कर्तव्य भी बनता है कि तुम जनता को इस न्यू ईस्ट इण्डिया कम्पनी के चंगुल से मुक्त करो।

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